चिंतन राष्ट्रीय परिदृश्य पर भारतीय जनता पार्टी का राज्यों में से घटता हुआ प्रभाव पार्टी के लिए जरूर एक सोचने का विषय होना चाहिए।जैसा कि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का चेहरा नरेंद्र भाई मोदी और अमित भाई शाह जैसे दिग्गज जिन्होंने जनता के बीच में अपनी एक छवि बनाई है।पार्टी के विचारों को लेकर के उसका समर्थन लगातार बढ़ रहा है ।अर्थात 2014 के लोकसभा चुनाव में संपूर्ण देश में भारतीय जनता पार्टी ने अपने दम पर जितनी सीटें जीती 2019 में वह दम कामयाबी के साथ रिपीट हुआ। लेकिन जहां तक राज्यों की बात करें इन्हीं 6 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी के हाथों से कई राज्य खिसकते चले गए जिनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और अब झारखंड। यह सब के लिए सोचने का विषय है कि आखिर पार्टी का इतना लोकप्रिय चेहरा मोदी जी के रूप में पार्टी के साथ है फिर भी पार्टी राज्यों में क्यों पिछड़ रही है वही लोग जो 50% वोटों के साथ मोदी जी को सर्वाधिक सीटें देते हैं वही लोग राज्य चुनाव में भाजपा को पीछे छोड़ देते हैं। अर्थ साफ है केंद्र सरकार के कामों से लोग संतुष्ट हैं। केंद्र सरकार अपनी समस्त योजनाओं का प्रचा...
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Showing posts from December, 2019
क्या हुआ है मुल्क में
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बदले बदले लोग हैं बदली बदली है हवा क्या हुआ है मुल्क में जो आ रहा है धुँवा कौन है तेरे यहाँ कौन है मेरे यहाँ छिड़के है बारूद जो और कर रहा धुँवा धुँवा कितना अमन चैन था कितना वो सुकून था क्या हुआ है इस कदर क्यों उठ रहा धुँवा धुँवा हरा भरा था वन मेरा चल गई गरम हवा भिड़ रही है लकड़ियां उठ रहा धुँवा धुँवा पेड़ सब जले हुए गर्म हो गयी हवा जानवर है जल गए मानवता बची कहाँ देश को फिर तोड़ने आ रहे है कुछ युवा आओ हम पहचान ले दे दे उनको फिर दवा कल भी तुम मौन थे देश तुमने गवां दिया आज फिर जो ना जगे रह जायेगी सिसकियां पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539 कविता पर अपनी टिप्पणी अवश्य करें।
हम अब तो बोलेंगे
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गीत (नारी जागृति/ सशक्तिकरण) हम अब तो बोलेंगे बहुत हो चुका मौन रहे हम अब तो बोलेंगे अपनी शक्ति दिखला दी तो सब फिर डोलेंगे नही सहेंगे कुछ भी ऐसा जिसमें मान घटे अपने अधिकारों के खातिर हम तो बोलेंगे अब तक जिसने भी चाहा उसने कुचल दिया खुशबू वाला फूल समझ कर तोड़ा फेंक दिया द्रौपदी वाला चीर हरण हम अब ना झेलेंगे बन रणचंडी असुरों की छाती पर डोलेंगे जो भी हमारी ओर बढ़ेंगे उन दुष्टों को काटेंगे दुर्गा का हम रूप धरेंगे शत्रु धूल को चाटेंगे नही जाएंगे न्याय मांगने जग के आगे हम माधव का हम लेकर सुदर्शन खुद ही लड़ लेंगे पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539 कविता पर अपनी अनमोल टिप्पणी अवश्य करें।
Prayer- O Mighty God
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Prayer- O Mighty God O Mighty God you know What is in my heart and soul Why are you examine me when you know What is in your heart and soul I don't need money or gold I don't need any boon from you I only need your blessings With it I can live in forest too I never forget your worship I never forget your prayer My heart never engage In the dirty system of this world My dawn comes with your prayer My night comes with your prayer May be it summer or winter or rainy But I pray you with my soul O Mighty God I serve only you Never need the world in life You always be in my heart You never forget you poor son. Pankaj Kumar Jha Chittorgarh Mobile-9314121539
आध्यात्मिक गीत
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आध्यात्मिक गीत जिस मोड़ पे आकर उलझू मैं उस मोड़ पे प्रभु तुम मिल जाना जब आये समझ ना कुछ भी मुझे उस बेर तूँ मुझे समझा जाना तूँ जानता है हर दिल की व्यथा फिर तुझे सुनाऊँ में किसकी कथा प्रभु तूँ तो, प्रभु तूँ तो अंतर्यामी है तूँ जग का एक ही स्वामी है तूँ ही एक सत्य है इस जग का बाकी सब मिथ्या बेमानी है हर विपदा का तूँ समाधान तूँ दरियादिल तूँ कृपानिधान कोनहारे के भीषण दंगल में गज को तूने जीवनदान दिया परीक्षित को तूने बचाया था गुरु पुत्र ने तीर चलाया था पढ़ते थे तुम जब भी माधव सांदीपनी ने गुरु ज्ञान दिया गुरु दक्षिणा मां के मांगने पर गुरुपुत्र को दूसरा प्राण दिया पंकज कुमार झा प्रान्त महामंत्री अखिल भारतीय साहित्य परिषद चित्तौड़गढ़ 9314121539 गीत की कोई पंक्ति या भाव आपको अच्छा लगे तो टिप्पणी जरूर करें।
तुम पूजो चाहे गांधी को
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तुम पूजो चाहे गांधी को तुम पूजो चाहे गांधी को चाहे जिसकी मर्जी हो लेकिन थोप नहीं तुम सकते चाहे जितनी मर्ज़ी हो माना गांधी आंधी था वो आज़ादी के प्यारों का बैर रखा था उसने फिर क्यों मां के प्यारे दुलारों का वीर सावरकर तुम को नही भाये नहीं भाये आज़ाद कभी लाला बाल पाल नही भाये नही भाये सुभाष कभी भगत सिंह ने बम था फोड़ा नही उसी से कोई मरा जब दी थी अग्रेज ने फांसी गांधी फिर क्यों नही अड़ा पहले तुम्हें थी चाहत हिंदी हिंदी में तुमने बात किया कोंग्रेस नाम था अंग्रेजों का स्वराज क्यों नही आत्मसात किया। हिंदी हित की बात तुम करते फिर हिंदुस्तानी पर काहे अड़े टोपी से तुम्हे डर क्यों लगता हम भी तो थे तेरे साथ खड़े बापू तुम अच्छे थे तुमने स्वच्छता की बात करी लेकिन खिलाफत करके तूने तुष्टिकरण शुरुआत करी तूने बोला नहीं बंटेगा बटेगा मेरी लाशों पर क्यों फैसला बदला तुमने नेहरू के जज़्बातों पर चलो विभाजन टल नहीं सकता इसीलिए तुमने बांट दिए दे के टोपी को उसका हिस्सा चोटी को क्यों भूल गए। माना उन जहरीले सांपों से मेरी माँ को खतरा था दस को बाहर कर के तुम फि...
भगवती गीत ( मैथिली )
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भगवती गीत ( मैथिली ) हे भगवती अहाँ जानय छी की अछि हम्मर मन में किया के लय छी हमर परीक्षा की अछि अहाँ के मन में नहीं चाही धन सोना हमरा नही चाही किछु और वरदान रहे संग में अहाँ के आशीष रहि लेब हम तँ बन में अहाँ के पूजा और आरती नित दिन हमरा छूटे नहीं जग के ई सब मायाजाल में मनवा हमर भटके नहीं अहीँ के जपते भोर हुए और अहीँ के जपते राइत हुए धूप ठंड चाहे कतबो आबे चाहे खूब बरसाइत हुए अहीँ के चाकरी सदा करी माँ जग के शरण में जाई नही मन में सदा रहय छी मैया हमरा अहाँ बिसराई नही पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539 अपन टिप्पणी अवश्य करी।
आशियाना
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आशियाना( काश मेरा भी एक घर होता) काश मेरा भी इक घर होता मैं भी रहता अरमानों से नही फिर कोई बाहर करता अपने ही आशियाने से जिसको मैने अपना समझा वहां मैं केवल मेहमां था पता चला मुझको आखिर में मैं तो केवल तन्हां था साथ जिसे समझा था अपने साथ उन्ही ने तोड़ दिया पकड़ के उंगली बड़ा हुआ था हाथ उन्हीं ने छोड़ दिया हर ठोकर से सीखा हमने यह ठोकर भी सिखलायेगा आज नही तो कल ही होगा पर अपना भी दिन आएगा साथ में लेकर क्या आये थे क्या लेकर हमें जाना है तुम भी मेहमां हम भी मेहमां चंद सांसो का ही ठिकाना है आज नही तो कल इस घर से हम सबको भी जाना है रहना है प्रभु के चरणों में अंतिम वही ठिकाना है पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539
मैं मानता हूँ कि तुम बड़ी खूबसूरत हो
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मैं मानता हूँ कि तुम बड़ी खूबसूरत हो मैं मानता हूं कि तुम बड़ी खूबसूरत हो फिर इसके लिए इतनी परेशान होती हो क्यों क्यों जाती हो पार्लर में मरम्मत के लिए चेहरे पे रोज़ इतनी मेकअप लगाती हो क्यों आंखों में लगा काजल ही तेरे है काफी फिर उस पर ये आई लाइनर लगाती हो क्यों होठों के ऊपर जो तेरे है ये काला तिल उसे पावडर से रोज़ छुपाती हो क्यों खुले बाल यों लगते हैं जैसे हो बादल फिर रोज़ अपनी चोटी तुम बनाती हो क्यों पास जब भी आती हो तुम लेकर चाय कमर पर डाल के पल्लू उसे छुपाती हो क्यों बहाने बच्चों का कर के तुम करती हो शिकवा हमेशा आने में इतना लेट हो जाते हो क्यों लगाने सर में झंडू बाम तुम आ जाती हो पास आने के ऐसे बहाने बनाती हो क्यों पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539 अपनी अनमोल टिप्पणी अवश्य करें।
टूटते परिवार
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टूटते परिवार कितने पास रहते तुम बढ़ गयी है दूरियाँ क्या हुआ है इस कदर तेरे मेरे दरमियाँ आज कल जुदा जुदा रहते तुम खफा खफा क्या हुआ जो इस तरह हो गए तुम बेवफा कल तलक तो एक थे जैसे गमले के हो फूल फिर ऐसा क्या घटा बन गए आंखों के शूल मिट्टी अपनी एक थी माली अपने एक थे एक ही थे कुल के बीज बदले फिर क्यों रंग थे कुछ बड़े तुम हुए कुछ छोटे हम रहे खुशबू तेरी ना रही रंग मेरे ना रहे जिनको लोग चाहते अब चलन में ना रहे कीमतें तेरी गिरी काम के ना हम रहे तन से हम आगे बढ़े मन हमारे नेक हो आजा तेरे रंग में खुशबू मेरी एक हो पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539 आपकी टिप्पणियां सादर आमंत्रित हैं।
तूँ ही मेरा चाँद है
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तूँ ही मेरा चाँद है तूँ ही मेरा चांद है तूँ ही मेरी चांदनी चारों और है तिमिर तूँ ही एक रोशनी कितना भी रहूं मैं दूर तूँ ही मेरे पास है गर यदि बदन हूँ मैं तूँ मेरा लिबास है नाग मैं तूँ है मणि आँख मैं तूँ रोशनी मैं रतन मेवाड़ का तूँ है मेरी पद्मिनी खुशबू मैं तुम फूल हो प्यार ये कुबूल हो मिल के हम रहे सदा हमसे ना फिर भूल हो कंठ में जब भी बनूँ तुम गले का हार हो अब हमारे बीच में कभी नही दीवार हो पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539 अपनी अनमोल टिप्पणी अवश्य करें
करवा चौथ
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करवा चौथ आ गयी है चौथ करवा मांग है फिर चांद की कल तलक जो चांद थे वो मांग करते चाँद की सज संवर के आज बैठी हाथ में ले फूल फल चाहतें मन में सजन की मांग करती चाँद की चाँद भी शरमा के बैठा आये ना फिर वो गगन चाँद इस धरती के सारे मांग करते चाँद की चाँद मेरा चाँद देखे मैं देखूँ अपने चाँद को हाथ में वो छलनी लेके मांग करते चाँद की भूखे प्यासे वो खड़े है मुख है फिर भी चाँद सा वो बढ़ाने उमर मेरी मांग करते चाँद की जल चढ़ा चरणों पे मेरे पूजती वो इस कदर मानती भगवन मुझे वो मांग करती चाँद की चाहतें है तेरी कैसी मैने पूछा चाँद से चाँद खुद शरमा के बोली तुम ही मेरे चाँद हो करवा चौथ पर अपने चाँद को समर्पित पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539 आपकी टिप्पणियां सादर आमंत्रित। 👏🏻👏🏻👏🏻
हो गया है खत्म देखो वनवास मेरे चाँद का
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हो गया है खत्म देखो वनवास मेरे चाँद का हो गया है खत्म देखो वनवास मेरे चाँद का कर गया है काम देखो उपवास मेरे चाँद का कर रहा सीमा पे प्रहरी गोलियों का शोर था खा के गोली बच गया वो जाने किस का जोर था चाँद को गोली लगी थी खून निकला ज़ोर से चौथ करवा ने ही दी थी ज़िन्दगी उस ओर से चाँद उसका घर खड़ा था चाँद ही के सामने मांगता था चाँद अपना चाँद ही के सामने अब नही कोई भी चंदा दूर होगी चाँद से चाँद ने ही थी मिलाई चाँद को फिर चाँद से पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539 अपनी टिप्पणी अवश्य करें
राष्ट्रवाद की इस आंधी में ध्वस्त हुए सारे पत्थर
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श्री राम मंदिर निर्माण की चल रही परिस्थिति पर एक कविता प्रस्तुत है। राष्ट्रवाद की इस आंधी में धवास्त हुए सारे पत्थर राष्ट्रवाद की इस आंधी में ध्वस्त हुए सारे पत्थर कोना कोना देवालय है कंकड़ कंकड़ है शंकर बर्बर बाबर बना के बैठा जिसको मस्जिद ताक़त से ले उखाड़ के आज है फेंका जनता ने अपनी ताक़त से गिरा के मंदिर आज बना जो वो मस्जिद फिर से ध्वस्त हुआ राम नाम की ओढ़ चदरिया मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ राम कार्य में बने जो बाधा उनका हाल बुरा होगा हनुमन उसको ना छोड़ेंगे चाहे वो जितना बड़ा होगा मर्यादा पुरुषोत्तम थे वो इसीलिए थे इतने शांत परशुराम के अंश जो होते कर देते फरसे से शांत छेड़ ना उस ताक़त को मानव जिसने तुझे बनाया है नेत्र तीसरा जब भी खुला है उसने प्रलय मचाया है पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539 अपने विचार अवश्य व्यक्त करें। 👏🏻👏🏻👏🏻
आईना
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आईना (दर्पण) जैसा हो वैसा बताता सच बताता आईना चेहरे पे थे दाग मेरे मैं साफ करता आईना हर दीवाली साफ करते घर दर ओ दीवार को जाने दिल कब साफ होंगे वो साफ करते आईना एक तूँ ही इस जहां में प्यार जिससे सब करे कहने को महबूब से इश्क़ वो देखते है आईना खुद से प्यारा ना जहां में और कोई इस कदर ग़र खुदा भी पास आता देखता वो आईना कर के टुकड़े लाख देखे पर मानता नही आईना चेहरे पर चेहरे छुपाये पर सच दिखाता आईना काँच का टुकड़ा था जब मैं सब को था चुभता रहा सब का फिर प्यारा हुआ जब बन गया मैं आईना। सच्चा ग़र तूँ दोस्त मेरा मत दे तूँ झूठा सुकूँ मतलबी इस दुनिया में तूँ बन जा मेरा आईना पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539 अपनी टिप्पणी अवश्य करें।
मेरे शहर में फिर से चुनाव आए हैं
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मेरे शहर में फिर से चुनाव आये हैं मेरे शहर में आज फिर से चुनाव आए हैं दीनों के घर में लक्ष्मीजी दबे पांव आए हैं मनेगी खुशियां कुछ दिन फिर से गरीबों के हिस्से भी खुशियां दो पाव आये हैं मेरे शहर में आज फिर से चुनाव आए हैं मांगता था जग से आज तक मांगू मांगू से भी मांगने स्वयं लक्ष्मीनाथ आए हैं मेरे शहर में आज फिर से चुनाव आए हैं कारू को मिलेगी रोज विदेशी दारू छोड़ के देसी सपने उसे भी अंग्रेजी ख्वाब आये हैं मेरे शहर में आज फिर से चुनाव आए हैं ककड़ी संग लेता था कल तक जो कारू उस के भी चखने में काजू एक पाव आए हैं मेरे शहर में आज फिर से चुनाव आए हैं पेमा की चप्पल जो डोरी से बंधी थी नए नए जूते उसके पांव आये है मेरे शहर में आज फिर से चुनाव आए हैं कुछ दिन चौराहों पर नही मिलेगा भीखू देने वाले खुद आज भीखू के गांव आये हैं मेरे शहर में आज फिर से चुनाव आए हैं काचरी संग खाता जो रोज कचरू उसके भी घर में मख्खन और पाव आये हैं मेरे शहर में आज फिर से चुनाव आए हैं पेलू के छत पे टूटे थे केलू दिखते थे द...
चेहरे पर चेहरा जनाब छुपाए बैठे है
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चेहरे पर चेहरा ज़नाब छुपाए बैठे हैं चेहरे पर चेहरा जनाब छुपाये बैठे हैं मक्कारी संग गद्दारी बेहिसाब छुपाये बैठे हैं कल तक करते जय थे जिसकी उसी की खोदी खाई है कत्ल उसी का करके अपने खूनी खंजर छुपाये बैठे है देर शाम तक झंडा थामा जिसका गायन करते है रात अंधेरी आने पर वो खुद पलटी खाया करते है करूँ विश्वास किस पर अब मैं खुद से पूछा करता हूँ ओढ़ के चादर सर्दी कह कर वो अपने दाग छुपाये बैठे है कत्ल आज जो किया है तुमने कल खुद भी मारे जाओगे मारने वाले अपने होंगे फिर तुम भी पछताओगे पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 931421539 अपनी टिप्पणियां अवश्य करें।
फिर से मुझे समंदर कर दे
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फिर से मुझे समंदर कर दे मेरे मन में तेरे मन का आज तूँ मिलन कर दे बनकर नदियाँ तूँ आज फिर से मुझे समंदर कर दे हार कर दुनिया मैं सारी बैठूं तेरे गेशुओं में जीत लूँ मैं तुझको फिर से आज मुझे सिकन्दर कर दे बन के भोला पास तेरे मैं रहूँ और पूजा जाऊं तूँ हो मेरी शैलपुत्री ऐसा तूँ वो मंदर कर दे जान जाऊँ जग के सारे छल कपट माया धरम को मिल के मुझमें भारती सी तूँ मुझे धुरंधर कर दे छोड़ कर दुनिया चलूँ मैं भक्ति तेरी बस प्रीत हो रात दिन तुझको जपूँ मैं ऐसा मुझे कलंदर कर दे पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ मोबाईल 9314121539 कविता कैसी लगी टिप्पणी अवश्य करें।
समझ नही आता
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जब से ज़िन्दगी में आए हो तुम समझ नही आता जब से जिंदगी में आये हो तुम समझ नही आता तुमसे प्यार है या है शिकायत समझ नही आता तुम्हारा पास रहना दिल को क्यों देता है सुकून तुमसे दूर रहने पर घबराना समझ नही आता तेरे आने पर क्यों आती है खुशबू समझ नही आता हवा में ऐसे यूं घुल मिल जाना समझ नही आता कच्ची केरी को जब भी तुम मेरे सामने खाती बहाने केरी के यूं आंख मारना समझ नही आता जब भी सामने रहती हो नज़रे नही मिलाती तुम मेरे जाने पर मुड़कर देखना समझ नही आता करते हो फोन जब भी घर पे रहते हो अकेले तुम मेरे फिर बोलने पर खामोश होना समझ नही आता प्यार ग़र करती नही तो ये बता दो तुम हिचकियाँ हमको दिलाता है कौन समझ नही आता किताबों में छुपा के रख रखी क्यों तस्वीर तुम मेरी मेरी तस्वीर को दिल से लगाना समझ नही आता यूं ही देखते रहते हो हमको तुम अकेले में या कोई प्यार का है इरादा समझ नहीं आता जब भी आते हो करते हो तुम प्यार की बारिश घटाओं से तुम्हारा है क्या रिश्ता समझ नही आता तुम्हें देखने को है तरसती क्यों मेरी आँखें तेरे चेहरे पे है वो नूर कैसा ...