आध्यात्मिक गीत
आध्यात्मिक गीत
जिस मोड़ पे आकर उलझू मैं
उस मोड़ पे प्रभु तुम मिल जाना
जब आये समझ ना कुछ भी मुझे
उस बेर तूँ मुझे समझा जाना
तूँ जानता है हर दिल की व्यथा
फिर तुझे सुनाऊँ में किसकी कथा
प्रभु तूँ तो, प्रभु तूँ तो अंतर्यामी है
तूँ जग का एक ही स्वामी है
तूँ ही एक सत्य है इस जग का
बाकी सब मिथ्या बेमानी है
हर विपदा का तूँ समाधान
तूँ दरियादिल तूँ कृपानिधान
कोनहारे के भीषण दंगल में
गज को तूने जीवनदान दिया
परीक्षित को तूने बचाया था
गुरु पुत्र ने तीर चलाया था
पढ़ते थे तुम जब भी माधव
सांदीपनी ने गुरु ज्ञान दिया
गुरु दक्षिणा मां के मांगने पर
गुरुपुत्र को दूसरा प्राण दिया
पंकज कुमार झा
प्रान्त महामंत्री
अखिल भारतीय साहित्य परिषद
चित्तौड़गढ़
9314121539
गीत की कोई पंक्ति या भाव आपको अच्छा लगे तो टिप्पणी जरूर करें।
जिस मोड़ पे आकर उलझू मैं
उस मोड़ पे प्रभु तुम मिल जाना
जब आये समझ ना कुछ भी मुझे
उस बेर तूँ मुझे समझा जाना
तूँ जानता है हर दिल की व्यथा
फिर तुझे सुनाऊँ में किसकी कथा
प्रभु तूँ तो, प्रभु तूँ तो अंतर्यामी है
तूँ जग का एक ही स्वामी है
तूँ ही एक सत्य है इस जग का
बाकी सब मिथ्या बेमानी है
हर विपदा का तूँ समाधान
तूँ दरियादिल तूँ कृपानिधान
कोनहारे के भीषण दंगल में
गज को तूने जीवनदान दिया
परीक्षित को तूने बचाया था
गुरु पुत्र ने तीर चलाया था
पढ़ते थे तुम जब भी माधव
सांदीपनी ने गुरु ज्ञान दिया
गुरु दक्षिणा मां के मांगने पर
गुरुपुत्र को दूसरा प्राण दिया
पंकज कुमार झा
प्रान्त महामंत्री
अखिल भारतीय साहित्य परिषद
चित्तौड़गढ़
9314121539
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👍👍
ReplyDeleteThank you
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