तुम पूजो चाहे गांधी को

 तुम पूजो चाहे गांधी को

तुम पूजो चाहे गांधी को
चाहे जिसकी मर्जी हो
लेकिन थोप नहीं तुम सकते
चाहे जितनी मर्ज़ी हो

माना गांधी आंधी था वो
आज़ादी के प्यारों का
बैर रखा था उसने फिर क्यों
मां के प्यारे दुलारों का

वीर सावरकर तुम को नही भाये
नहीं भाये आज़ाद कभी
लाला बाल पाल नही भाये
नही भाये सुभाष कभी

भगत सिंह ने बम था फोड़ा
नही उसी से कोई मरा
जब दी थी अग्रेज ने फांसी
गांधी फिर क्यों नही अड़ा

पहले तुम्हें थी चाहत हिंदी
हिंदी में तुमने बात किया
कोंग्रेस नाम था अंग्रेजों का
स्वराज  क्यों नही आत्मसात किया।

हिंदी हित की बात तुम करते
फिर हिंदुस्तानी पर काहे अड़े
टोपी से तुम्हे डर क्यों लगता
हम भी तो थे तेरे साथ खड़े

बापू तुम अच्छे थे तुमने
स्वच्छता की बात करी
लेकिन खिलाफत करके तूने
तुष्टिकरण शुरुआत करी

तूने बोला नहीं बंटेगा
बटेगा मेरी लाशों पर
क्यों फैसला बदला तुमने
नेहरू के जज़्बातों पर

चलो विभाजन टल नहीं सकता
इसीलिए तुमने बांट दिए
दे के टोपी को उसका हिस्सा
चोटी को क्यों भूल गए।

माना उन जहरीले सांपों से
मेरी माँ को खतरा था
दस को बाहर कर के तुम
फिर पंद्रह को क्यों भूल गए

कल के छोड़े साँप आज फिर
अजगर बन कर बैठे हैं
माँ भारती की छाती पर
ओवैसी बन कर लोटे हैं

मैं भी पूजता गांधी को था
जब तक सच को पढ़ा नहीं
पढ़कर आज़ादी के किस्से
फिर गांधी मेरा रहा नही

नाथूराम  की जय नहीं करता
नही करता मैं  गांधी की
जय करता हूं  सुभाष आजाद
और भगत सिंह की  आंधी की

पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
मोबाईल 9314121539

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