मेरे शहर में फिर से चुनाव आए हैं
मेरे शहर में फिर से चुनाव आये हैं
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
दीनों के घर में
लक्ष्मीजी दबे पांव आए हैं
मनेगी खुशियां
कुछ दिन फिर से
गरीबों के हिस्से भी
खुशियां दो पाव आये हैं
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
मांगता था जग से
आज तक मांगू
मांगू से भी मांगने
स्वयं लक्ष्मीनाथ आए हैं
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
कारू को मिलेगी
रोज विदेशी दारू
छोड़ के देसी सपने
उसे भी अंग्रेजी ख्वाब आये हैं
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
ककड़ी संग लेता था
कल तक जो कारू
उस के भी चखने में
काजू एक पाव आए हैं
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
पेमा की चप्पल
जो डोरी से बंधी थी
नए नए जूते
उसके पांव आये है
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
कुछ दिन चौराहों पर
नही मिलेगा भीखू
देने वाले खुद आज
भीखू के गांव आये हैं
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
काचरी संग खाता
जो रोज कचरू
उसके भी घर में
मख्खन और पाव आये हैं
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
पेलू के छत पे
टूटे थे केलू
दिखते थे दिनकर
घर से जो दिनभर
उसके भी घर पर
अब छांव आए हैं
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
रामू बना हिन्दू
हैदर मूसलमान
गंगू बना तेली
नाई अरमान
देखो जाति धर्म के
फिर से दाव आए हैं
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
नंगा था नारू
गूंगा था गंगू
आज पैरों को छूने
कई नंगे पांव आये हैं
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
दस दिन के दौड़ में
बहाके खून पसीना
नेता भी अपने घर
थके पांव आए हैं
मेरे शहर में आज
फिर से चुनाव आए हैं
पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
मोबाईल 9314121539
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Satya vachan
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