हम अब तो बोलेंगे
गीत (नारी जागृति/ सशक्तिकरण)
हम अब तो बोलेंगे
बहुत हो चुका मौन रहे हम अब तो बोलेंगे
अपनी शक्ति दिखला दी तो सब फिर डोलेंगे
नही सहेंगे कुछ भी ऐसा जिसमें मान घटे
अपने अधिकारों के खातिर हम तो बोलेंगे
अब तक जिसने भी चाहा उसने कुचल दिया
खुशबू वाला फूल समझ कर तोड़ा फेंक दिया
द्रौपदी वाला चीर हरण हम अब ना झेलेंगे
बन रणचंडी असुरों की छाती पर डोलेंगे
जो भी हमारी ओर बढ़ेंगे उन दुष्टों को काटेंगे
दुर्गा का हम रूप धरेंगे शत्रु धूल को चाटेंगे
नही जाएंगे न्याय मांगने जग के आगे हम
माधव का हम लेकर सुदर्शन खुद ही लड़ लेंगे
पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
मोबाईल 9314121539
कविता पर अपनी अनमोल टिप्पणी अवश्य करें।
हम अब तो बोलेंगे
बहुत हो चुका मौन रहे हम अब तो बोलेंगे
अपनी शक्ति दिखला दी तो सब फिर डोलेंगे
नही सहेंगे कुछ भी ऐसा जिसमें मान घटे
अपने अधिकारों के खातिर हम तो बोलेंगे
अब तक जिसने भी चाहा उसने कुचल दिया
खुशबू वाला फूल समझ कर तोड़ा फेंक दिया
द्रौपदी वाला चीर हरण हम अब ना झेलेंगे
बन रणचंडी असुरों की छाती पर डोलेंगे
जो भी हमारी ओर बढ़ेंगे उन दुष्टों को काटेंगे
दुर्गा का हम रूप धरेंगे शत्रु धूल को चाटेंगे
नही जाएंगे न्याय मांगने जग के आगे हम
माधव का हम लेकर सुदर्शन खुद ही लड़ लेंगे
पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
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