चेहरे पर चेहरा जनाब छुपाए बैठे है


चेहरे पर चेहरा ज़नाब छुपाए बैठे हैं


चेहरे पर चेहरा जनाब
छुपाये बैठे हैं
मक्कारी संग गद्दारी
बेहिसाब छुपाये बैठे हैं

कल तक करते जय थे जिसकी
 उसी की खोदी खाई है
कत्ल उसी का करके अपने
खूनी खंजर छुपाये बैठे है

देर शाम तक झंडा थामा
जिसका गायन करते है
रात अंधेरी आने पर वो
खुद पलटी खाया करते है

करूँ विश्वास किस पर अब मैं
खुद से पूछा करता हूँ
ओढ़ के चादर सर्दी कह कर
वो अपने दाग छुपाये बैठे है

कत्ल आज जो किया है तुमने
कल खुद भी मारे जाओगे
मारने वाले अपने होंगे
फिर तुम भी पछताओगे

पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
मोबाईल 931421539
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