समझ नही आता


जब से ज़िन्दगी में आए हो तुम समझ नही आता


जब से जिंदगी में आये हो तुम
समझ नही आता
तुमसे प्यार है या है शिकायत
समझ नही आता
तुम्हारा पास रहना दिल को
क्यों देता है सुकून
तुमसे दूर रहने पर घबराना
समझ नही आता

तेरे आने पर क्यों आती है खुशबू
समझ नही आता
हवा में ऐसे यूं घुल मिल जाना
समझ नही आता
कच्ची केरी को जब भी तुम
मेरे सामने खाती
बहाने केरी के यूं आंख मारना
समझ नही आता

जब भी सामने रहती हो
नज़रे नही मिलाती तुम
मेरे जाने पर मुड़कर देखना
समझ नही आता
करते हो फोन जब भी घर पे
 रहते हो अकेले तुम
मेरे फिर बोलने पर खामोश होना
समझ नही आता

प्यार ग़र करती नही तो ये
बता दो तुम
हिचकियाँ हमको दिलाता है कौन
समझ नही आता
किताबों में छुपा के रख रखी क्यों
तस्वीर तुम मेरी
मेरी तस्वीर को दिल से लगाना
समझ नही आता


यूं ही देखते रहते हो हमको
 तुम अकेले में
 या कोई प्यार का है इरादा
समझ नहीं आता
जब भी आते हो करते हो तुम प्यार की बारिश
घटाओं से तुम्हारा है क्या रिश्ता
समझ नही आता

तुम्हें देखने को है तरसती
 क्यों मेरी आँखें
तेरे चेहरे पे है वो नूर कैसा
समझ नही आता
कुछ भी तो अलग नही है
तुझमें और दुनिया में
फिर तुमसे ही ये प्यार कैसा
समझ नही आता

पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
मोबाईल 9314121539

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