मोहब्बत हो गयी उनसे
मोहब्बत हो गयी उनसे मोहब्बत हो गयी उनसे और वो अनजान बैठे हैं भीगना था बारिश में संग वो छतरी तान बैठे हैं करते तुम क्यों इनकार मेरे प्रेम निवेदन को वैसे अपने भी दुनिया में कदरदान बैठे हैं इस जहाँ में तुम ही हो जिस पे दिल ये आया है वरना कम नही जो देकर हम पर जान बैठे है अरे हाँ कम नही थे सुंदर इस सुंदर नगरी में पर देखी सादगी तेरी तो दिल कुर्बान बैठे हैं ये दुनिया बड़ी जालिम प्रेम करना नहीं आसान फिर भी प्यार में देकर के इम्तेहान बैठे है फिदा ये दिल हुआ तुम पर एक मुस्कान के खातिर तेरी मुस्कान को ही प्यार अपना मान बैठे है पंकज कुमार झा चित्तौड़गढ़ अपनी टिपण्णी अवश्य करें।