राष्ट्रवाद पर फिर से देखो पेटवाद पड़ा भारी है
राष्ट्रवाद पर फिर से देखो पेटवाद पड़ा भारी है
राष्ट्रवाद पर फिर से देखो
पेटवाद पड़ा भारी है
एक एक राष्ट्रवादी पर
नो नो पेटवादी भारी है
हस्तिनापुर में अब भूखों
की फ़ौज़ बड़ी ही भारी है
राज सिंहासन बैठा रोये
मुझ पर लालची भारी है
मां की अस्मिता लेकर के
जो राशन कार्ड बनाते थे
उन्हीं कंधों पर आज है आयी
राशन बांटने की बारी है
मेरे सैनिक समरभूमि में
जब दुश्मन मारा करते थे
मांगे सबूत जो उनसे भी
उसी राज की तैयारी है
भारत तेरे टुकड़े होंगे
दिल्ली में फिर हावी होगा
तीन सौ सत्तर हटाने वाले
हाथों में लाचारी है
घर घर से अफ़ज़ल निकलेगा
जिनका प्रिय वो नारा था
शाहीन बाग़ में आकर बैठे
विधानसभा की तैयारी है
मुफ्त का माल सब में जाता
तूँ भी खाता मैं भी खाता
कौनसे अपने बाप का जाता
अब इसी सोच की बारी है
पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
राष्ट्रवाद पर फिर से देखो
पेटवाद पड़ा भारी है
एक एक राष्ट्रवादी पर
नो नो पेटवादी भारी है
हस्तिनापुर में अब भूखों
की फ़ौज़ बड़ी ही भारी है
राज सिंहासन बैठा रोये
मुझ पर लालची भारी है
मां की अस्मिता लेकर के
जो राशन कार्ड बनाते थे
उन्हीं कंधों पर आज है आयी
राशन बांटने की बारी है
मेरे सैनिक समरभूमि में
जब दुश्मन मारा करते थे
मांगे सबूत जो उनसे भी
उसी राज की तैयारी है
भारत तेरे टुकड़े होंगे
दिल्ली में फिर हावी होगा
तीन सौ सत्तर हटाने वाले
हाथों में लाचारी है
घर घर से अफ़ज़ल निकलेगा
जिनका प्रिय वो नारा था
शाहीन बाग़ में आकर बैठे
विधानसभा की तैयारी है
मुफ्त का माल सब में जाता
तूँ भी खाता मैं भी खाता
कौनसे अपने बाप का जाता
अब इसी सोच की बारी है
पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
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