जय श्री राम जय श्री राम
जय श्री राम जय श्री राम
जय श्री राम जय श्री राम
जब तक लक्ष्य ना मिल जाये
तब तक ना हो कोई विराम
न अर्ध विराम न पूर्ण विराम
बस जय श्री राम जय श्री राम
जो सत्य मार्ग पर चलते हैं
मिथ्या उनके लिए हराम
विजय उन्ही की निश्चित है
फिर जय श्री राम जय श्री राम
मार्ग में कांटे कितने भी हो
कंकड़ पत्थर जितने भी हो
फल मिल जाये उनको तमाम
फिर जय श्री राम जय श्री राम
जब साथ में रघुवर रहते हैं
बदल जाते हैं सारे परिणाम
हार हारती है उनसे जो बोले
फिर जय श्री राम जय श्री राम
जो अथक परिश्रम करते है
वो लक्ष्य को पाकर रहते है
नही करते तब तक वो विश्राम
फिर जय श्री राम जय श्री राम
लघुपथ चुनने के चक्कर में
जो अनीति को शस्त्र बनाते है
हो जाता उनका राम राम
फिर जय श्री राम जय श्री राम
रावण से जब भी युद्ध करो
घर के विभीषण साथ धरो
विजय तुम्हारा वरण करेगी
फिर जय श्री राम जय श्री राम
पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
कविता पर अपनी टिप्पणी अवश्य करें।
जय श्री राम जय श्री राम
जब तक लक्ष्य ना मिल जाये
तब तक ना हो कोई विराम
न अर्ध विराम न पूर्ण विराम
बस जय श्री राम जय श्री राम
जो सत्य मार्ग पर चलते हैं
मिथ्या उनके लिए हराम
विजय उन्ही की निश्चित है
फिर जय श्री राम जय श्री राम
मार्ग में कांटे कितने भी हो
कंकड़ पत्थर जितने भी हो
फल मिल जाये उनको तमाम
फिर जय श्री राम जय श्री राम
जब साथ में रघुवर रहते हैं
बदल जाते हैं सारे परिणाम
हार हारती है उनसे जो बोले
फिर जय श्री राम जय श्री राम
जो अथक परिश्रम करते है
वो लक्ष्य को पाकर रहते है
नही करते तब तक वो विश्राम
फिर जय श्री राम जय श्री राम
लघुपथ चुनने के चक्कर में
जो अनीति को शस्त्र बनाते है
हो जाता उनका राम राम
फिर जय श्री राम जय श्री राम
रावण से जब भी युद्ध करो
घर के विभीषण साथ धरो
विजय तुम्हारा वरण करेगी
फिर जय श्री राम जय श्री राम
पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
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