फिर से ऐसा राष्ट्र बनाएं
फिर से ऐसा राष्ट्र बनाएं
कोई नृप होए हमे का हानि
खा गई यही तो बात पुरानी
इसी बात से धरी गुलामी
सात सदी यह बात पुरानी
अपि स्वर्ण मयी लंका
न में लक्ष्मण रोचते
कभी नही हमला बोला
इसी बात को सोचते
जब था अपना अशोक महान
दुनिया करती उनको सलाम
फिर भी ताक़त के बल पर
न बनाया परदेश को गुलाम
शांति का वो पाठ पढ़ाने
निज बच्चों को भी लगाया
ले के दुनिया में एक झंडा
बुद्धि से सब को बुद्ध बनाया
चक्रवर्ती सम्राटों ने जब
अश्वमेघ का घोड़ा छोड़ा
भू मंडल ने नमन किया फिर
मार्ग में बना नही कोई रोड़ा
एक सिकंदर दुनिया जाने
दुनिया लगी थी बाप बुलाने
लेकिन जब वो भारत आया
चंद्रगुप्त को बाप बनाया
इतिहास के स्वर्णिम पन्ने
अपने बच्चे जो ना पढ़ेंगे
सुनकर गुलामी की गाथाएं
आगे कभी नही वो बढ़ेंगे
आओ हम सब याद दिलाएं
बच्चों को अपने सिखलाएं
इस जग के तुम गुरु होते थे
फिर से ऐसा राष्ट्र बनाएं
पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
कोई नृप होए हमे का हानि
खा गई यही तो बात पुरानी
इसी बात से धरी गुलामी
सात सदी यह बात पुरानी
अपि स्वर्ण मयी लंका
न में लक्ष्मण रोचते
कभी नही हमला बोला
इसी बात को सोचते
जब था अपना अशोक महान
दुनिया करती उनको सलाम
फिर भी ताक़त के बल पर
न बनाया परदेश को गुलाम
शांति का वो पाठ पढ़ाने
निज बच्चों को भी लगाया
ले के दुनिया में एक झंडा
बुद्धि से सब को बुद्ध बनाया
चक्रवर्ती सम्राटों ने जब
अश्वमेघ का घोड़ा छोड़ा
भू मंडल ने नमन किया फिर
मार्ग में बना नही कोई रोड़ा
एक सिकंदर दुनिया जाने
दुनिया लगी थी बाप बुलाने
लेकिन जब वो भारत आया
चंद्रगुप्त को बाप बनाया
इतिहास के स्वर्णिम पन्ने
अपने बच्चे जो ना पढ़ेंगे
सुनकर गुलामी की गाथाएं
आगे कभी नही वो बढ़ेंगे
आओ हम सब याद दिलाएं
बच्चों को अपने सिखलाएं
इस जग के तुम गुरु होते थे
फिर से ऐसा राष्ट्र बनाएं
पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़
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