फोकट की इस दौड़ में


फोकट की इस दौड़ में

फोकट की इस दौड़ में

फोकट की इस दौड़ में
दौड़ रहे सब नेता
आगे आगे वोटर भागे
पीछे पीछे नेता

कोई बैंक के लोन को
फोकट में करे चुकता
दो रुपये चांवल दे के
कोई बन जाते दाता

कोई भूमि दे फोकट में
कोई मकान दे जाता
कोई देता खाना खाने
कोई शौचालय देता

पैदा होने पर पैसा देता
मरने पर भी देता
फोकट खाने वालों से लेकिन
कोई कुछ ना लेता

कोई देता स्कूटी तो
कोई साइकिल देता
तलाक होने पर जॉब में रखे
शादी में धन देता


कोई पानी देता तो
कोई बिजली देता
वोट के खातिर लूट
रहे देश को अपने नेता

होड़ मची देने में अब तो
कौनसा बाप का जाता
हाथ राज पाने के खातिर
सब कुछ नेता देता

अर्थव्यवस्था की बारह बजी है
काम नही कोई करता
फोकट का फिर ज्ञानचंद वो
ज्ञान जगत को देता

पंकज कुमार झा
चित्तौड़गढ़

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